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ग्रामीण दिल्ली के अस्पतालो की सच्चाई - जो केवल कागजों पर मौजूद

जमीनी रिपोर्ट से पता चलता है कि अस्पतालों के लिए आवंटित जमीन या तो कूड़ा घर बन गयी है या नशा करने वालो का अड्डा | कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है, केवल चारदीवारी मौजूद है|

image source: the quint

ग्रामीण दिल्ली की आबादी सरकारी अस्पतालों से क्यों वंचित है?

अस्पताल के बिस्तरों, ऑक्सीजन, दवाओं और वेंटिलेटर की कमी के कारण दिल्ली में दूसरी COVID-19 लहर के दौरान कई लोगों की मौत हो गई - इन लोगों की जान बचाई जा सकती थी अगर और अस्पताल होते।

अप्रैल 2015 और मार्च 2019 के बीच, अरविंद केजरीवाल की सरकार ने दिल्ली में एक भी नया अस्पताल चालू नहीं किया। मौजूदा अस्पतालों में बिस्तर जोड़कर अस्थायी व्यवस्था की गई थी, लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी, क्योंकि डॉक्टरों और नर्सों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई थी।


लेकिन क्या स्थिति में सुधार हुआ है? क्या दिल्ली सरकार कई लंबित अस्पताल परियोजनाओं पर आगे बढ़ी है? द क्विंट ने अस्पताल निर्माण के लिए फरवरी 2011 में दिल्ली स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), दिल्ली सरकार को सौंपे गए छह अस्पताल भूमि स्थलों का दौरा किया |

जमीनी रिपोर्ट से पता चलता है कि , चार स्थलों पर, कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है, केवल चारदीवारी मौजूद है-

  • बामनोली अस्पताल - अस्पताल के नाम पर बस एक गेट

बामनोली अस्पताल

दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में स्थित बमनोली गांव के अस्पताल का हाल

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनवरी 2010 में अस्पताल के निर्माण के लिए 14,543 वर्ग मीटर या 17 बीघा भूमि आवंटित की गई थी। जनवरी 2011 में, स्वास्थ्य विभाग ने पीडब्ल्यूडी को परियोजना सौंपी - जिसकी शुरुआत साइट की चारदीवारी के निर्माण के साथ हुई।


लेकिन सच्चाई कुछ और बयान करती हैऔर हॉस्पिटल की जगह पर अब सिर्फ़ एक बोर्ड लगा हुआ है,जिसपर लिखा है -"200 बिस्तरों वाले सरकारी अस्पताल बामनोली, नई दिल्ली के लिए जगह"। अब अस्पताल की साइट पर कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा था। प्रस्तावित अस्पताल का स्थान दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर भी उपलब्ध नहीं है, इसलिए सटीक स्थान बामनोली पंचायत कार्यालय से पता चला "अस्पताल कहां है, बस जमीन है और गेट पर ताला लगा है। पता नहीं सरकार अस्पताल कब बनेगा"।

पंचायत के सदस्यों में से एक रोहताश ने हमारी सहायता की और हमें स्थान पर ले गए। 58 वर्षीय रोहताश का जन्म बमनोली में हुआ था। उन्होंने कहा कि निकटतम सरकारी अस्पताल 17 किलोमीटर दूर दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल है।


COVID की दूसरी लहर के दौरान, हमारी छोटी डिस्पेंसरी में मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई।हमारी डिस्पेंसरी में आस-पास के गांवों के मरीज आए। यह अस्पताल क्षेत्र के कम से कम 7-8 गांवों की सेवा करता है और प्रत्येक गांव में कम से कम 3500 मतदाता हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस अस्पताल ने कितनी आबादी का इलाज किया होगा | - दिल्ली के बमनोली गांव निवासी रोताश

अस्पताल के निर्माण के लिए ग्रामीणों ने सरकार से शिकायत या अनुरोध भी किया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ और उन्होंने कहा, "हमारी कौन सुनेगा? अगर सरकार को वास्तव में यहां अस्पताल चाहिए, तो वे इसे अब तक बना सकते थे।

  • झटीकरा- सिर्फ़ दीवार, गेट, बोर्ड पर अस्पताल नहीं!

झटीकरा अस्पताल

दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के गाँव झटीकरा के अस्पताल का भी यही हाल है। सरकारी वेबसाइट पर इस अस्पताल की साइट का भी कोई पता या स्थान उपलब्ध नहीं है।


दिल्ली स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 30 सितंबर 2009 को यहां एक अस्पताल के निर्माण के लिए 6736 वर्ग मीटर या 8 बीघा जमीन आवंटित की गई थी।


अस्पताल की साइट पर एक चारदीवारी, एक गेट और एक टूटा हुआ बोर्ड था। दिल्ली सरकार के एक दस्तावेज में कहा गया है - "झटीकरा में 100 बिस्तरों की क्षमता वाले स्वास्थ्य केंद्र व मैटरनिटी अस्पताल के निर्माण के लिए परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। इसे संशोधित करने की आवश्यकता है क्योंकि स्पष्ट रूप से 100 बिस्तरों वाला मैटरनिटी अस्पताल एक उपयुक्त प्रस्ताव नही है।”


ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार ने अस्पताल में बिस्तरों की संख्या में संशोधन करने के बजाय इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। झटीकरा निवासी पवन त्यागी ने कहा, 'यहां चारदीवारी बनाने के बाद कोई भी सरकारी अधिकारी साइट पर नहीं आया है।

दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर स्थित - झटीकरा एक अत्यधिक आबादी वाला गाँव है।

“हमें यहां एक अस्पताल की सख्त जरूरत है। निकटतम अस्पताल लगभग 18 किलोमीटर दूर है। यह सड़क गुरुग्राम से जुड़ती है, इसलिए यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कई बार मरीजों की अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो जाती है। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान हमारे गांव के कई लोगों की मौत हो गई क्योंकि उन्हें अस्पताल में ऑक्सीजन बेड नहीं मिल सका।” - झटीकारा गांव निवासी पवन त्यागी

ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक और दिल्ली सरकार को अस्पताल का निर्माण पूरा करने के लिए लिखा था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।


  • बापरौला - 15 साल, कोई अस्पताल नहीं, बस एक कचरा डंप

बापरौला अस्पताल

सरकार ने बापरौला में 2,654 वर्ग मीटर या 3 बीघा ज़मीन पर 50 बिस्तरों वाले अस्पताल की योजना बनाई थी।

15 फरवरी 2021 के सरकारी दस्तावेजके अनुसार, "शुरुआत में 100 बिस्तर वाले अस्पताल के लिए परियोजना के निर्माण की परिकल्पना की गई थी।हालांकि वास्तव में कब्जे के तहत भूखंड क्षेत्र की बाधाओं के कारण, जो कि 3 बीघा है, परियोजना को 50 बिस्तरों वाले अस्पताल को माँ एवं बाल अस्पताल में संशोधित किया गया। भूमि स्वास्थ्य सेवा निदेशालय और पीडब्ल्यूडी के कब्जे में है।

अब बापरौला अस्पताल स्थल पर केवल एक चारदीवारी और एक गेट है। स्थानीय लोगों के अनुसार अस्पताल का बोर्ड भी था, लेकिन या तो उसे हटा दिया गया था या किसी ने चोरी कर लिया था।

2006 में दिल्ली सरकार ने अस्पताल के निर्माण के लिए यह भूखंड आवंटित किया था लेकिन 15 साल बाद सिर्फ एक चारदीवारी, एक गेट और कचरा इकट्ठा करने की जगह में तब्दील हो गई है।


अस्पताल की जमीन अब स्थानीय लोगों के लिए डंप यार्ड बन गई है और अब उसमें गंदगी भरी है। दिलचस्प बात यह है कि आसपास रहने वाले कई निवासियों को यह भी नहीं पता है कि जमीन एक अस्पताल के लिए आवंटित की गई है।

निकटतम सरकारी अस्पताल जफरपुर में है जो बापरोला से 11 किलोमीटर दूर है। बापरौला गाँव वसियों द्वारा अस्पताल को लेकर सरकार के पास सूचना के अधिकार के लिए कई आवेदन दायर किए हैं, लेकिन अब तक प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं रही है। उनका कहना है कि निर्माण के लिए इतनी जमीन आवंटित कर दी गई है, लेकिन वे हमें यह नहीं बताते कि निर्माण कब शुरू होगा।


  • छतरपुर अस्पताल

छतरपुर अस्पताल

दक्षिणी दिल्ली में छतरपुर अस्पताल का पता लगाना सबसे कठिन था। जैसा कि पहले भी बताया गया है, सरकारी वेबसाइटों पर इन अस्पतालों के स्थान या पते के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। एक गाँववासी ने, अस्पताल के आवंटित ज़मीन का रास्ता बताया जो 4000 वर्ग मीटर में फैला है जो भूखंड अब झाड़ियों और कचरे से भरा है और नशा करने वालों का अड्डा बन गया है।


ग्रामीण दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सरकारी अस्पताल बनाने की योजना बड़े सरकारी अस्पतालों पर दबाव कम करने और ग्रामीण दिल्ली के निवासियों को बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल के लिए कई किलोमीटर की यात्रा की परेशानी से बचाने के लिए बनाई गई थी। 2022 में दिल्ली नगर निगम के आगामी चुनावों को देखते हुए आम आदमी पार्टी के पूरे इलाके में 'तोहफ़ों ' के नाम पर अस्पताल के पोस्टर देखे जा सकते है- जिनमे से ज़्यादातर सिर्फ कागजो पर है असलियत में नहीं।


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